छतरपुर स्थित बक्सवाहा के जंगलों (Buxwaha_forest) में खनन से केवल पेड़ पौधों और वन्य जीवों को ही खतरा नहीं है, बल्कि यहां स्थित 20 हजार ईसा पूर्व यानि आज से करीब 22 हजार साल से भी ज्यादा पुराने शैल चित्र नष्ट हो जाएंगे। जानकारी के मुताबिक खनन से प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric_times) में चट्टानों पर उकेरी गईं इन कलाकृतियों के भी नष्ट होने की आशंका है।
यहां के आदिवासी इन्हें लाल पुतरियां कहते हैं। पूरे देश में खनन को लेकर हल्ला हो रहा है, लेकिन इस अमूल्य पुरातात्विक धरोहर को सहेजने को लेकर अब तक कोई विभाग संजीदा नहीं हुआ है। यहां तक कि वन विभाग और पुरातत्व विभाग को इतना भी नहीं पता है कि यह जगह खनन के दायरे में है या नहीं।
आग की खोज से भी पुराने हैं शैल चित्र :
छतरपुर स्थित शासकीय महाराजा महाविद्यालय (govt maharaja college chhatarpur) के प्रो. एके छारी (Prof. A.K. Chari) ने 2016 में अपने छात्रों के साथ इन शैल चित्रों को खोजा था। प्रो. छारी बताते हैं कि एक शोध के दौरान उनका दल घने जंगल को पार कर पथरीले रास्तों से होता हुआ ढीमर कुंआ (Dheemar Kua) पहुंचा तो उन्हें यह आकृतियां यहां उकेरी हुई मिली थीं। यह लाल रंग की थीं।
(ढीमर कुंआ स्थित 22 हजार साल पुराने शैल चित्रों की असली तस्वीर )
प्रो. छारी बताते हैं कि यह शैल चित्र तब उकेरे गए थे। जब आग की भी खोज नहीं हुई थी। क्योंकि इसमें केवल लाल रंग का ही इस्तेमाल किया गया, जबकि विश्व प्रसिद्ध भीम बैठिका पर्यटन स्थल में मध्य पाषाण कालीन (Mesolithic) चित्र हैं। जो ईसा से करीब 10 हजार साल पहले के हैं। इनमें लाल के साथ काले रंग का भी इस्तेमाल हुआ है। अर्थात इस समय तक आग की खोज कर ली गई थी।
ढीमर कुंआ के शैल चित्रों में आदि मानवों ने शिकार करने के तौर तरीकों और उस दौर में इस्तेमाल किए जाने वाले औजारों को उकेरा है।
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पुरातत्व विभाग और वन विभाग के अपने अपने बहाने :
पुरातत्व विभाग में कार्यरत आशुतोष महाशब्दे बताते हैं कि उनका विभाग पुरातत्व महत्व की चीजों को संरक्षित करने के लिए अभियान चला रहा है। वहीं इन शैल चित्राें को संरक्षित करने के लिए वे अभियान चलाने की बात कह रहे हैं। हालांकि खनन का दायरा बड़ा होने के कारण इन शैल चित्रों के नष्ट होने की संभावना से वे भी इंकार नहीं कर पाए।
(मॉडल फोटो)
वहीं डीएफओ छतरपुर अनुराग कुमार का इस संबंध में कहना है कि बक्सवाहा का प्रपोजल जब गया तब वे यहां नहीं थे। इसलिए इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जब प्रपोजल तैयार होकर आएगा तो वे इस संबंध में जानकारी दे पाएंगे कि शैल चित्र खनन के दायरे में है या नहीं।